Ego quotes in Hindi, ego status hindi
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न जाने कितने रिश्ते ख़त्म कर दिए इस भ्रम ने कि मैं सही सिर्फ मैं ही सही हूँ।
अंहकार और गुस्से से भरे इंसान को किसी शत्रु की जरुरत नही होती।
जिन लोगों को
मुफ्त में चीजें मिल जाती है,
अहंकार उन्ही को होता हैं ।
किसी ख्वाब की इतनी औकात नहीं, जिसे हम देखे और वो पूरा ना हो
कई बार इंसान अपने गरूर में इतना अँधा हो जाता है, कि फिर उसे अपनों की एहमियत का एहसास भी नहीं होता ।
किसी भी इंसान को
अगर शिद्दत
से चाहो तो,
सारी दुनिया का भाव वह
अकेले ही
खाने लगता है ..!!
किसी ख्वाब की इतनी Aukat नहीं के, हम देखे और पूरा ना हो।
अंहकार से कुछ
हासिल नही होता,
बल्कि इंसान वो भी गवां बैठता हैं, जो उसके पास होता है।
अहंकार और प्रेम एक साथ नहीं रह सकते !
इरादे सब मेरे साफ़ होते हैं, इसीलिए, लोग अक्सर मेरे ख़िलाफ़ होते हैं!!!
सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत रखता हूँ…
इसीलिए आजकल रिश्ते कम रखता हूँ
किसी को जरूरत से ज्यादा एहमियत देना भी कई बार आपकी वैल्यू को जीरो कर देता है ।
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ…..
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी…..
‘क्षमा’ कितनी खुशनसीब है, जिसे पाकर लोग अपनों को याद करते है… “लेकिन ” ‘अहंकार’ कितना बदनसीब है, जिसे पाकर लोग अक्सर अपनों को ही भूल जाते है….!!![:hi]
न जाने कितने रिश्ते ख़त्म कर दिए इस भ्रम ने कि मैं सही सिर्फ मैं ही सही हूँ।
अंहकार और गुस्से से भरे इंसान को किसी शत्रु की जरुरत नही होती।
जिन लोगों को
मुफ्त में चीजें मिल जाती है,
अहंकार उन्ही को होता हैं ।
किसी ख्वाब की इतनी औकात नहीं, जिसे हम देखे और वो पूरा ना हो
कई बार इंसान अपने गरूर में इतना अँधा हो जाता है, कि फिर उसे अपनों की एहमियत का एहसास भी नहीं होता ।
किसी भी इंसान को
अगर शिद्दत
से चाहो तो,
सारी दुनिया का भाव वह
अकेले ही
खाने लगता है ..!!
किसी ख्वाब की इतनी Aukat नहीं के, हम देखे और पूरा ना हो।
अंहकार से कुछ
हासिल नही होता,
बल्कि इंसान वो भी गवां बैठता हैं, जो उसके पास होता है।
अहंकार और प्रेम एक साथ नहीं रह सकते !
इरादे सब मेरे साफ़ होते हैं, इसीलिए, लोग अक्सर मेरे ख़िलाफ़ होते हैं!!!
सही को सही और गलत को गलत कहने की हिम्मत रखता हूँ…
इसीलिए आजकल रिश्ते कम रखता हूँ
किसी को जरूरत से ज्यादा एहमियत देना भी कई बार आपकी वैल्यू को जीरो कर देता है ।
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ…..
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी…..
‘क्षमा’ कितनी खुशनसीब है, जिसे पाकर लोग अपनों को याद करते है… “लेकिन ” ‘अहंकार’ कितना बदनसीब है, जिसे पाकर लोग अक्सर अपनों को ही भूल जाते है….!!![:]